पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट: दिल्ली विश्वविद्यालय में तंबाकू की लत के खिलाफ एक प्रेरणादायक लड़ाई | नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विस 2025
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय का वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (VPCI) आज तंबाकू की लत के खिलाफ भारत की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। साधारण सी दिखने वाली इस इमारत के भीतर एक “शांत क्रांति” चल रही है — जहाँ हर दिन हज़ारों लोग एक कॉल के ज़रिए तंबाकू छोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
- 📞 एक कॉल, एक नई शुरुआत: नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विस की कहानी
- 📊 तंबाकू छोड़ने के आँकड़े — जागरूक भारत की दिशा में कदम
- 👥 कौन हैं ये कॉल करने वाले?
- 💬 परामर्शदाताओं की भूमिका — भावनाओं से जुड़ी एक जंग
- 🧠 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक की भूमिका
- 🌐 एआई और भविष्य की दिशा
- 💪 निष्कर्ष — “एक कॉल, एक जीवन”
- एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है – ताज़ा अपडेट
- सवाल–जवाब
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- 👥 कौन हैं ये कॉल करने वाले?
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- 🧠 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक की भूमिका
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- 💪 निष्कर्ष — “एक कॉल, एक जीवन”
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- 📊 तंबाकू छोड़ने के आँकड़े — जागरूक भारत की दिशा में कदम
- 👥 कौन हैं ये कॉल करने वाले?
- 💬 परामर्शदाताओं की भूमिका — भावनाओं से जुड़ी एक जंग
- 🧠 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक की भूमिका
- 🌐 एआई और भविष्य की दिशा
- 💪 निष्कर्ष — “एक कॉल, एक जीवन”
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- सवाल–जवाब
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- 👥 कौन हैं ये कॉल करने वाले?
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- 🧠 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक की भूमिका
- 🌐 एआई और भविष्य की दिशा
- 💪 निष्कर्ष — “एक कॉल, एक जीवन”
- एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है – ताज़ा अपडेट
एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है से जुड़ी यह महत्वपूर्ण खबर पढ़ें।
📞 एक कॉल, एक नई शुरुआत: नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विस की कहानी
यह पहल National Tobacco Quitline Services (NTQLS) का हिस्सा है — एक हेल्पलाइन जो 2016 में स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से शुरू हुई थी। यहां के परामर्शदाता (counsellors) सिर्फ कॉल नहीं उठाते — वे हर कॉल करने वाले के साथ जीवन का एक नया अध्याय शुरू करने में मदद करते हैं। साल 2024 में अकेले दिल्ली केंद्र ने 94,788 कॉलर्स को पंजीकृत किया। इनमें से 19,253 लोगों ने पूरी तरह से तंबाकू छोड़ने में सफलता पाई — यह 20.3% की सफलता दर है, जो किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल के लिए अत्यंत सराहनीय है।
📊 तंबाकू छोड़ने के आँकड़े — जागरूक भारत की दिशा में कदम
- दूसरी फॉलो-अप कॉल का उत्तर देने वाले: 61%
- तीसरी कॉल पर प्रतिक्रिया देने वाले: 33%
- चौथी कॉल तक जुड़े रहने वाले: 26.9%
- सफलतापूर्वक तंबाकू छोड़ने वाले: 19,253 व्यक्ति
- दोबारा शुरू करने की सूचना देने वाले: 266 (संभावना अधिक)
इन आँकड़ों के भीतर उम्मीद की एक मजबूत कहानी छिपी है — यह दिखाती है कि भले ही लत गहरी हो, लेकिन इच्छाशक्ति और सहयोग से बदलाव संभव है। दिल्ली में वर्ष 2024 में 3,369 कॉल प्राप्त हुईं, जबकि देशभर में औसतन हर दिन 15,000 कॉल्स दर्ज की गईं। सबसे अधिक कॉल्स उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आईं, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों से भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही।
👥 कौन हैं ये कॉल करने वाले?
अधिकांश कॉल करने वाले पुरुष (91%) हैं, जिनमें से 76% से अधिक की उम्र 34 वर्ष से कम है। कई कॉल्स हॉस्टल रूम्स या कार्यस्थलों से आती हैं — जहां लोग धीरे बोलते हैं ताकि कोई सुन न सके। अधिकांश उपयोगकर्ता धूम्ररहित तंबाकू (जैसे गुटखा, खैनी) पर निर्भर हैं — जिसे अक्सर “हानिरहित” बताया जाता है, जबकि यह समान रूप से हानिकारक है। कई कॉलर्स ड्राइवर, प्लंबर, दुकानदार या मजदूर वर्ग से आते हैं — जो लंबे समय से तंबाकू सेवन के आदी हैं लेकिन सहायता प्रणाली से वंचित हैं।
💬 परामर्शदाताओं की भूमिका — भावनाओं से जुड़ी एक जंग
इस सेवा में 100 से अधिक प्रशिक्षित मनोविज्ञान और सामाजिक कार्य विशेषज्ञ काम करते हैं। वे WHO द्वारा अनुशंसित 5A और 5R व्यवहार तकनीकों का उपयोग करते हुए कॉलर्स को उनकी “quit date” निर्धारित करने में मदद करते हैं — जो आमतौर पर जन्मदिन, सालगिरह या कोई भावनात्मक दिन होता है। प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी छोड़ने से पहले और बाद में कई चरणों में कॉल मिलती है — 1 सप्ताह, 1 माह, 3 माह, 6 माह और 1 वर्ष तक निरंतर फॉलो-अप किया जाता है।
🧠 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीक की भूमिका
VPCI के निदेशक राज कुमार बताते हैं कि "एक सक्रिय कॉल हमेशा उपयोगकर्ता को हमसे जुड़ा महसूस कराती है। जब व्यक्ति यह समझता है कि हम उसकी यात्रा का हिस्सा हैं, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।" 2018 में जब इस पहल का विस्तार बेंगलुरु, मुंबई और गुवाहाटी तक हुआ, तब यह एक चार-केंद्रित राष्ट्रीय नेटवर्क बन गई जो अब 15 भाषाओं में सेवाएँ प्रदान करती है।
🌐 एआई और भविष्य की दिशा
केंद्र के अधिकारी अब अगले चरण की तैयारी में हैं — जहाँ AI-समर्थित परामर्श सहायक (AI Counselling Assistants) शामिल होंगे। यह तकनीक उच्च कॉल वॉल्यूम को संभालने और प्रत्येक उपयोगकर्ता के अनुभव को व्यक्तिगत बनाने में मदद करेगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने कहा — “सरकार द्वारा सभी तंबाकू उत्पादों पर क्विटलाइन नंबर छापने के फैसले ने लाखों लोगों को इस सेवा से जोड़ दिया है। यह राष्ट्रनिर्माण का कार्य है।”
💪 निष्कर्ष — “एक कॉल, एक जीवन”
दिल्ली विश्वविद्यालय का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट आज यह साबित कर रहा है कि सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत एक कॉल से भी हो सकती है। यह केवल परामर्श नहीं — एक मानवता आधारित आंदोलन है जो हर रोज़ सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी बदल रहा है। तंबाकू की लत भले ही गहरी हो, लेकिन जब कोई “छोड़ना” चाहता है — तो यह केंद्र उस यात्रा का साथी बन जाता है।
👉 Source: Hindustan Times – One Call at a Time: DU’s Patel Chest Institute Battles Tobacco Addiction 🔗 NeoYojana – Health & Education Updates [ad_2]एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है – ताज़ा अपडेट
संक्षेप में: एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु ऊपर दिए गए हैं।
सवाल–जवाब
इस खबर का मुख्य मुद्दा क्या है?
यह लेख एक समय में एक कॉल: डीयू का पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट तंबाकू की लत के खिलाफ लड़ाई को कैसे सशक्त बना रहा है विषय पर नवीनतम और तथ्यात्मक अपडेट प्रस्तुत करता है।
अगला आधिकारिक अपडेट कब मिलेगा?
जैसे ही आधिकारिक सूचना आएगी, यह लेख अपडेट किया जाएगा।
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