पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव 2026 – उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को दी मंजूरी, जारी हुई अधिसूचना

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पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव 2026 – उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को दी मंजूरी, जारी हुई अधिसूचना

[ad_1] प्रकाशन तिथि: 30 नवंबर 2025 लेखक: Neoyojana Desk एक बड़ी खबर सामने आई है — उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, जो पंजाब विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं, ने आखिरकार लंबे समय से लंबित पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव 2026 के कार्यक्रम को अपनी मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के साथ, कैंपस में जारी विरोध और धरना प्रदर्शन को अब विराम मिल सकता है।
पीयू सीनेट चुनाव: उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को दी मंजूरी, अधिसूचना जारी
पीयू सीनेट चुनाव: उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को दी मंजूरी, अधिसूचना जारी

अधिसूचना जारी – कब होंगे सीनेट चुनाव?

उपराष्ट्रपति सचिवालय द्वारा अवर सचिव सरिता चौहान के माध्यम से जारी आधिकारिक पत्र में यह बताया गया कि चुनाव कार्यक्रम को बिना किसी बदलाव के मंजूरी दे दी गई है। यह मंजूरी 9 नवंबर 2025 को विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुरूप है। आधिकारिक अनुसूची के अनुसार, चुनाव इस प्रकार होंगे:
  • 7 सितंबर 2026: तकनीकी और व्यावसायिक कॉलेजों के प्राचार्य एवं कर्मचारी वर्ग के लिए मतदान।
  • 14 सितंबर 2026: विश्वविद्यालय शिक्षण विभागों के सहयोगी और सहायक प्रोफेसरों के लिए मतदान।
  • 20 सितंबर 2026: संबद्ध कला महाविद्यालयों के प्रमुखों, पंजीकृत स्नातकों, तथा एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए चुनाव।
  • 4 अक्टूबर 2026: परिसर में संकाय-वार चुनाव।
हर मतदान दिवस के तुरंत बाद जांच और मतगणना की जाएगी।

किसे भेजी गई मंजूरी की सूचना?

यह आधिकारिक सूचना पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. (डॉ.) रेनू विग को भेजी गई है। साथ ही, अनुमोदन पत्र की प्रतियां केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पीएस प्रवीण पी. नायर (IAS), और पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ प्रशासक वीपी सिंह (IAS) को भी भेजी गई हैं।

लंबे इंतज़ार के बाद आई राहत

सूत्रों के अनुसार, यह अधिसूचना लंबे समय से लंबित चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करती है। सीनेट, जिसका कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है, ने 31 अक्टूबर 2024 को अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। हालांकि, नई सीनेट के चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने पिछली सीनेट को भंग कर दिया था। यही कारण था कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से ठप हो गई थी और विश्वविद्यालय में माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ था।

धरना, प्रदर्शन और आंदोलन का असर

बीते कई हफ्तों से कैंपस में ‘पीयू चंडीगढ़ बचाओ मोर्चा’ के सदस्य लगातार आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने चुनाव तिथियों की घोषणा की मांग को लेकर 25 दिनों तक धरना दिया। इस आंदोलन में विभिन्न छात्र संगठनों और अध्यापक समूहों ने भी भाग लिया। 26 नवंबर को विश्वविद्यालय को बंद करने का आह्वान किया गया था, जबकि 3 दिसंबर को सभी भाजपा कार्यालयों का घेराव करने की चेतावनी दी गई थी अगर अधिसूचना जारी नहीं की गई। अंततः, मंजूरी की खबर आने के बाद छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने इस निर्णय को अपने आंदोलन की जीत बताया।
पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा’ के सदस्यों ने घोषणा की है कि वे इस निर्णय को छात्रों की विजय मानते हुए शुक्रवार दोपहर ‘विजय मार्च’ निकालेंगे।

कैंपस में माहौल – राहत और उत्साह दोनों

चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद कैंपस में अब राहत और उम्मीद का माहौल है। जहां एक ओर शिक्षक वर्ग इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली मान रहे हैं, वहीं छात्रों को उम्मीद है कि नई सीनेट उनके मुद्दों को अधिक मजबूती से उठाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी सभी संबद्ध कॉलेजों और विभागों को चुनाव की तैयारियाँ शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। अब अगले चरण में चुनाव आयोग की अधिसूचना और नामांकन प्रक्रिया की तिथियाँ जारी की जाएँगी।

राजनीतिक संदर्भ और प्रभाव

पंजाब विश्वविद्यालय के सीनेट चुनाव अक्सर शैक्षणिक के साथ-साथ राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माने जाते हैं। इस बार के चुनाव विशेष रूप से इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि केंद्र द्वारा सीनेट भंग करने के बाद यह पहली बार होगा जब नए प्रतिनिधि चुने जाएंगे। विभिन्न छात्र संगठनों और संकायों का कहना है कि वे इस चुनाव को “लोकतंत्र की बहाली” के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं। वहीं कुछ आलोचक यह भी मानते हैं कि केंद्र और राज्य के बीच शिक्षा प्रशासन को लेकर खींचतान का असर इस प्रक्रिया पर पड़ सकता है।

क्या है सीनेट की भूमिका?

पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट को विश्वविद्यालय की सर्वोच्च नीति-निर्माण संस्था माना जाता है। इसमें शिक्षकों, स्नातकों, प्राचार्यों और सरकारी प्रतिनिधियों का समावेश होता है। यह संस्था विश्वविद्यालय की नीतियों, बजट, नियुक्तियों और शिक्षा सुधारों से जुड़े अहम फैसले लेती है। इसलिए, नई सीनेट का गठन शिक्षा और प्रशासन दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

निष्कर्ष – लोकतंत्र की बहाली की दिशा में कदम

उपराष्ट्रपति की मंजूरी और अधिसूचना जारी होने के साथ ही, पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने राहत की सांस ली है। अब देखना यह होगा कि 2026 में होने वाले ये चुनाव विश्वविद्यालय के भविष्य को किस दिशा में ले जाते हैं। लेकिन इतना निश्चित है कि यह फैसला लोकतांत्रिक शैक्षणिक प्रक्रिया की बहाली और छात्र आंदोलनों की सफलता का प्रमाण बन गया है। आने वाले महीनों में पंजाब विश्वविद्यालय का माहौल एक बार फिर नई उम्मीद और भागीदारी की भावना से भरेगा। [ad_2] Source: Hindustan Times अधिक शिक्षा समाचारों के लिए देखें Education News Section

पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव – ताज़ा अपडेट

संक्षेप में: पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु ऊपर दिए गए हैं।

सवाल–जवाब

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यह लेख पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट चुनाव विषय पर नवीनतम और तथ्यात्मक अपडेट प्रस्तुत करता है।

अगला आधिकारिक अपडेट कब मिलेगा?
जैसे ही आधिकारिक सूचना आएगी, यह लेख अपडेट किया जाएगा।

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